हमारे शरीर के हड्डियों और मांसपेशियों मे होने वाले दर्द को फाइब्रोमाइल्जिया कहा जाता है। पर ये दर्द कोई आम दर्द नहीं होता, बल्कि सुई के चुभने जैसा असहनीय दर्द होता है। जिससे हड्डियों मे दर्द के साथ साथ सनसनी भी होने लगती है। इस असहनीय दर्द को ही फाइब्रोमाइल्जिया कहा जाता है। ये विकार बहुत ही जटिल और परेशान करने वाला है। और ये विकार काफी लोगो को होता है, खास कर 30 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों को। पर ये विकार किसी भी उम्र मे हो सकता है।
पुरुषों की तुलना में महिलाएं फाइब्रोमाइल्जिया के अधिक शिकार होती हैं। इसलिए महिलाओं को इस विकार के प्रति थोड़ा सतर्क रहना चाहिए। क्योकि एक बार फाइब्रोमाइल्जिया होने के बाद ये जल्दी पीछा नहीं छोड़ता। तो आइये जानते है, फाइब्रोमाइल्जिया होने के कारण, लक्षण और बचाव।
कारण: फाइब्रोमाइल्जिया एक आनुवांशिक रोग है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है। अगर आपके पूर्वजों मे ये रोग है, तो ये संभव है की आपको भी ये रोग हो सकता है। इसके अलावा कमर, पीठ, कंधा या शरीर के पीछे वाले भाग मे गंभीर चोट लगने के कारण भी ये रोग हो सकता है। आज के समय मे दिन भर कुर्सी पर बैठ करने वाले कामों की मात्रा बढ़ गई है। जिसके कारण आज के समय मे ये बीमारी भी बढ़ गई है। क्यो की दिन भर एक ही जगह पर बैठने से रीढ़ की हड्डियाँ दब जाती है, जिससे उनमे दर्द होने लगता है और आगे चलकर धीरे धीरे ये दर्द फाइब्रोमाइल्जिया का रूप ले लेता है। रीढ़ की हड्डियों पर आवश्यकता से अधिक दबाव डालने से भी ये रोग हो सकता है। इसके अलावा पूरी नींद न लेना, अधिक तनाव, आवश्यकता से अधिक मेहनत, अधिक बोझ उठाना, व्यायाम न करना तथा रीढ़ की हड्डियों का खयाल ने रखने से भी ये बीमारी हो सकती है।
बचाव: वैसे एक बार ये बीमारी होने के बाद इसे पूरी तरह ठीक करना मुश्किल है। इसलिए इससे बचाव ही सबसे अच्छा उपाय है। इस विकार से बचने के लिए विटामिन डी का अधिक सेवन करें। इसके लिए रोज सुबह धूप लें। क्योकि धूप मे विटामिन डी की मात्रा सबसे अधिक होती है। इसके साथ साथ विटामिन डी से भरपूत खाद्य पदार्थों का भी सेवन करें। पूरी नींद लें। तनाव मुक्त रहें, हमेशा अपने रीढ़ की हड्डी को सीधे रखें यानि पीठ को सीधा करके बैठें, चलने, सोएँ और रोजाना व्यायाम जरूर करें। क्योकि व्यायाम करने से ही शरीर लचीला, मजबूत और रोग मुक्त रहेगा।
दोस्तों फाइब्रोमाइल्जिया को हल्के मे मत लें, क्योकि ये रोग अपने असहनीय दर्द से कभी कभी रुला भी देता है। इसलिए जब भी आपको जादा दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर को जरूर दिखाएँ। और सही इलाज करें। और जितना हो सके इस बीमारी से दूर रहें।
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