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भारतीय टॉयलेट का इस्तेमाल करने वाले 90% लोग नहीं जानते होंगे ये बातें

Why Indian toilets are better than the western toilets

भारतीय टॉयलेट का इस्तेमाल तो सभी भारतीय करते है. पर अब भारत में धीरे धीरे वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमला भी बढ़ने लगा है. आप किसी मॉल, होटल या बड़े बड़े घरों में देखेंगे, तो उसमे वेस्टर्न टॉयलेट होता ही है. पर क्या आपने कभी सोचा है की, वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल क्यों बढ़ रहा है? या भारतीय टॉयलेट और वेस्टर्न टॉयलेट में से कौनसा टॉयलेट अच्छा है? हमें किसका इस्तेमाल करना चाहिए? या आज के समय में वेस्टर्न टॉयलेट की संख्या क्यों बढ़ रही है? ऐसे कई सवाल है, जो आपके मन में आते होंगे. इसलिए आज हम भारतीय टॉयलेट और वेस्टर्न टॉयलेट के कुछ फायदे और नुकसान के बारे में जानेंगे. जिससे आपको टॉयलेट से सम्बंधित सारे सवालों के जवाब मिल जाएँगे. 

भारतीय टॉयलेट के फायदे

Why Indian toilets are better than the western toilets

  • भारतीय टॉयलेट पे हमें घुटने मोड़कर झुककर बैठते है, जिसे स्क्वाटिंग पोस्चर कहते है. दरअसल ये एक आसन की तरह काम करता है. जिसका नाम मलासना है. मलासना से हमारे पेट, पीठ, घुटने और दिमाग को फायदा पहुंचता है. 
  • भारतीय टॉयलेट पे झुककर बैठने से हमारा पेट दबता है. जिससे टॉयलेट पूरा बहार निकल जाता है. इस पोजीशन में बैठकर हम अपने पेट भर आसानी से दबाव डाल सकते है, जिससे टॉयलेट पूरा बाहर आ जाए. और पेट पूरी तरह साफ़ हो जाए.  
  • भारतीय टॉयलेट पर झुककर बैठने से हमारे रीढ़ की हड्डियाँ खींचती है. जिससे हमे रिलैक्स महसूस होता है. और इससे रीढ़ की हड्डियों का व्यायाम भी होता है. 
  • भारतीय टॉयलेट पर घुटने मोड़कर बैठा जाता है. जिससे हमारे घुटनों को भी रिलैक्स होता है और इससे घुटनों का भी व्यायाम होता है. 
  • इसमें हम जमीन के समीप बैठते है, जिससे हमारे दिमाग पे सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और जमीन पर हमारा बैलेंस भी अच्छा होता है. 
  • भारतीय टॉयलेट को छूना नहीं पड़ता. जिससे हमारे बदन पर बैक्टीरिया लगने का खतरा नहीं रहता. इसीलिए ये हाइजेनिक होता है. 
  • भारतीय टॉयलेट में पानी का इस्तेमला भी कम होता है. 
  • भारतीय टॉयलेट का इस्तेमाल भी आसानी से कर सकते है. 
  • ये हमारे पाचनतंत्र को मजबूत बनाता है और चयापचय को उत्तेजित करता है. 
  • इस स्थिति में बैठने से हमें गैस, बदहजमी, अपच या बवासीर जैसे पेट की समस्या जल्दी नहीं होती. 
  • कई और अन्य फायदे भी है. कुल मिलकर भारतीय टॉयलेट पर बैठना एक व्यायाम करने जैसा है, जिससे हमें बहुत फायदा होता है. 

भारतीय टॉयलेट के नुकसान

Why Indian toilets are better than the western toilets

  • भारतीय टॉयलेट पर बैठने पर हमारे घुटने और कमर पर दबाव पड़ता है. जिसके कारण जिन लोगो को घुटने का दर्द, गठिया या जोड़ों की समस्या हो, उन लोगों को भारतीय टॉयलेट का इस्तेमला करने में परेशानी होती है. 
  • कमर से निचे वाले अंगों से अपाहिज और फ्रैक्चर वाले लोग भी भारतीय टॉयलेट का इस्तेमाल आसानी से नहीं कर सकते. 
  • बूढ़े व्यक्ति भी भारतीय टॉयलेट का इस्तेमाल आसानी से नहीं कर सकते. 

वेस्टर्न टॉयलेट के फायदे

Why Indian toilets are better than the western toilets

  • वेस्टर्न टॉयलेट पर एक कुर्सी की तरह बैठकर टॉयलेट किया जाता है. जिससे हमारे घुटने और रीढ़ की हड्डियों पर दबाव नहीं पड़ता. इसीलिए घुटने के दर्द, गठिया या जोड़ों की समस्या वाले लोगों के लिए वेस्टर्न टॉयलेट एक सही विकल्प है. इस पर टॉयलेट करते समय उन्हें कोई तकलीफ नहीं होगी. 
  • बुजुर्ग, अपाहिज, अपंग या फ्रैक्चर वाले लोग भी वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमला आसानी से कर सकते है. और यही सबसे मुख्य कारण है, भारत में वेस्टर्न टॉयलेट की संख्या बढ़ने का. 
  • कई मायनों में वेस्टर्न टॉयलेट जरुरी होता है. और डॉक्टर भी कई परिस्थितियों में वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करने के लिए ही बोलते है. 


वेस्टर्न टॉयलेट के नुकसान

Why Indian toilets are better than the western toilets

  • जिन लोगों को वेस्टर्न टॉयलेट की आदत नहीं है, उनका पेट पूरी तरह साफ़ नहीं होता. और भारत में अधिकतर लोगों को वेस्टर्न टॉयलेट की आदत नहीं है. 
  • वेस्टर्न टॉयलेट में हमारे किसी भी मांसपेशी का व्यायाम नहीं होता. जबकि भारतीय टॉयलेट में हमारे कई मांसपेशियों का व्यायाम होता है. 
  • वेस्टर्न टॉयलेट को छूना पड़ता है, उसके ढक्कन को खोलना पड़ता है और उसपर बैठना भी पड़ता है. जिससे कई बैक्टीरिया हमारे शरीर पर लग जाते है. इसीलिए ये अनहाइजीनिक होता है. 
  • वेस्टर्न टॉयलेट में पानी का इस्तेमला अधिक होता है. भारतीय टॉयलेट के मुकाबले वेस्टर्न टॉयलेट में धोने से लेकर फ्लश करने तक कई गुना पानी गिर जाता है. जबकि भारतीय टॉयलेट में पानी का इस्तेमाल कम होता है, जिससे पानी की बचत होती है. 
  • वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करना हम भारतियों के लिए थोडा मुश्किल होता है. क्यों की हमें इसकी आदत नहीं है. और इसमें सबसे ज्यादा कठिनाई धोने में होती है.  
  • ये हमारे पाचनतंत्र को मजबूत बनाता है और चयापचय को उत्तेजित करता है. 
  • वेस्टर्न टॉयलेट से हमारे शरीर के किसी भी अंग का व्यायाम नहीं होता. जबकि एक तरह से भारतीय टॉयलेट से हमारे कई अंगों का व्यायाम हो जाता है. 



तो ये है कुछ फायदे और नुकसान वेस्टर्न टॉयलेट और भारतीय टॉयलेट के. भारतीय टॉयलेट काफी लाभदायक होता है. पर कई मायनों में वेस्टर्न टॉयलेट भी जरुरी है. कुल मिला के देखा जाए तो अगर आप शारीरिक रूप से स्वस्थ है, तो आपको भारतीय टॉयलेट का ही इस्तेमाल करना चाहिए. और अगर आप बुजुर्ग, अपाहिज, अपंग, फ्रैक्चर है, या आपको घुटने का दर्द, गठिया या जोड़ों की समस्या हो, तो आपके लिए वेस्टर्न टॉयलेट एक सही विकल्प है. 

Why Indian toilets are better than the western toilets

हम भारतीय कई सदियों से स्क्वाटिंग पोस्चर का इस्तेमाल करते आ रहे है. और हमारे भारतीय संस्कृति में भी इसी को सही बताया गया है. इसीलिए भारत में अधिकतर भारतीय टॉयलेट का ही इस्तेमाल किया जाता है. पर अब समय बदल रहा है, और धीरे धीरे वेस्टर टॉयलेट का इस्तेमाल बढ़ रहा है. वैसे परिस्थिरी को मध्य नजर रख के वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करना कोई गलत नहीं होगा. फिर भी हम भारतीय लोगों को जितना हो सके भारतीय टॉयलेट का ही इस्तेमाल करना चाहिए. क्यों की ऐसा हम पहले से करते आ रहे है और इससे हमें फायदा भी होता है. बाकि अगर परिस्थिति ख़राब हो तो वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल कर सकते है. 

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