दुनिया भर में मच्छरों के कारण हर साल लगभग ४ लाख लोगो की मौत होती है. जिनमें से ज्यादातर 5 साल से कम उम्र की आयु वाले बच्चे होते हैं. मच्छरों के काटने से कई सारी घातक बीमारियां होती है, जैसे की डेंगू बुखार, मलेरिया, चिकनगुनिया, रिफ्ट वैली बुखार, पीला बुखार आदि. मच्छरों के काटने से होने वाले मौत के सिलसिले को रोकने के लिए दुनिया भर में हर साल World Mosquito Day मनाया जाता है. इस दिन के जरिये लोगो में जागरूकता लाई जाती है, की मच्छरों से कैसे बचा जाए. आपको बता दें की आज ही के दिन 20 अगस्त 1896 को मसहुर चिकित्सक रोनाल्ड रास ने मलेरिया बीमारी की खोज की थी.
WHO (World Health Organization) के मुताबिक मच्छरों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले इस साल ३० गुना बढ़ोतरी हुई है. इनमें प्रजनन के कारण इनकी संख्या बढती जा रही है. आप अंदाजा लगा सकते है की जितनी इसकी संख्या बढ़ेगी उतनी ही बीमारियाँ. मच्छरों की तीन प्रजातियाँ होती है.
- एडीज
- एनोफेलीज
- क्यूलेक्स
इनमें से सबसे खतरनाक प्रजाति होती है “एडीज”. जो चिकनगुनिया, डेंगू बुखार, लिम्फेटिक फाइलेरिया, रिफ्ट वैली बुखार, पीला बुखार, जीका आदि जैसी बीमारियाँ फैलाती है. और दूसरी प्रजाति “एनोफेलीज” मलेरिया, लिम्फेटिक फाइलेरिया जैसी बीमारियाँ फैलाती है. ये तो हो गई मच्छर और उनसे होने वाली बीमारियाँ. आज हम आपको बताएंगे की यह बीमारियाँ कैसे फैलती है, इनके लक्षण क्या है, और इनसे कैसे बचाव किया जाए.
बीमारियाँ
डेंगू बुखार: डेंगू बुखार मच्छर के काटने से होता है. ये एक “वायरल फीवर” है. अगर इस बीमारी में सही समय पर डॉक्टर को नहीं दिखाया गया, तो व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. डेंगू बुखार को “हड्डी तोड़ बुखार” भी कहा जाता है. क्योकि इस बिमारी में पीड़ित व्यक्ति को असहनीय हड्डियों का दर्द होता है. इस बीमारी का लक्षण मच्छर के काटने के ५ से ७ दिनों के बाद दीखता है. डेंगू बुखार का खतरा खासकर बरसात के मौसम में अधिक होता है. यह बीमारी मादा मच्छर एडीज के काटने से फैलता है. मादा मच्छर में पाए जाने वाले परजीवी, मच्छर के काटने पर हमारे रक्त नलिकाओं में प्रवेश कर कोशिकाओं को नुक्सान पहुचातें है.
जिका वायरस: जिका वायरस एडीज नामक मच्छर द्वारा फैलता है. जिका वायरस को पहचानना बहुत मुश्किल होता है, क्योकि इस बीमारी में कोई विशेष लक्षण नही होता है. ये वही मच्छर है, जो चिकनगुनियाँ, डेंगू बुखार और पीला बुखार जैसी घातक बीमारियाँ फैलाते है. इस बीमारी के कोई ख़ास लक्षण नही है, सभी आम लक्षण है. जैसे की थकान, बुखार, लाल आंखे, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द और शरीर पर लाल चकत्ते का आना. जिका वायरस मच्छरों के काटने के अलावा असुरक्षित शारीरिक संबंध और ब्लड ट्रांसफ्यूजन से भी होता है.
येलो फीवर: “येलो फीवर” बीमारी जिसे हम पीलिया भी कह सकते है. यह बीमारी “एडीज” नामक मच्छर के काटने या संक्रमण से फैलती है. यह संक्रामक और तीव्र रोग है, इस बीमारी का पता व्यक्ति को कुछ दिनों में ही चल जाता है. इसके कुछ लक्षण भी है. जैसे की आँखों का सफ़ेद हिस्सा और त्वचा का रंग पिला पड़ना, लीवर में खराबी आना, बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना, पीठ दर्द, भूख, मितली और उल्टी होना आदि.
जापानी एन्सेफलाइटिस: “जापानी एन्सेफलाइटिस” यह बीमारी “क्यूलेक्स” नामक मच्छर के काटने से होती है. और ये वायरल फीवर भी है. इस बीमारी में मच्छरों द्वारा काटने पर वायरस रक्त नलिकाओं से होकर सीधे मस्तिष्क पर असर करता है. साथ ही मस्तिष्क में सुजन का कारण भी बनता है. इस बीमारी का कोई खास लक्षण तो नहीं है पर इसमें संक्रमित व्यक्ति को ठंड लगना, बुखार, गले में दर्द, सिरदर्द, मतली, थकान और उल्टी जैसी समस्या होती हैं. लेकिन इस बीमारी को साधारण ना समझे, ये बीमारी मस्तिष्क में प्रगति कर शरीर में दौरा, कोमा, पक्षाघात जैसी बड़ी बीमारी का रूप ले सकती है.
बिमारियों से बचने के उपाय
- मच्छरों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए तालाबों और पानी जमा होने वाली खुली जगहों पर केरोसिन के तेल का छिड़काव करें.
- रात को सोते समय मच्छरदानी लगाये या मछर को दूर भगाने वाली कोइल का इस्तेमाल करें.
- अपने आस – पास पानी इकठ्ठा ना होने दे.
- घर में मच्छर ना घुसे इसके लिए खिडकियों और दरवाजों पर जाली लगवाएं.
- मच्छरों से बचने के लिए, हल्के और शरीर को पूरा ढकने वाले कपडे पहने.
- समय पर अपना चेकअप करवाएं.
तो ये थी मच्छरों के बारे में सारी जानकारी. और मच्छरों से होने वाली बीमारी और उनसे बचने का तरीका. ये एक गंभीर समस्या है. इसीलिए इसे हल्के न लें. बारिश के मौसम में मच्छरों का आतंक बहुत बढ़ जाता है. इसीलिए सावधानी बरतें.
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